गुरुवार, 31 मई 2018

जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया

जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया
(लय-‘‘ठुमुक चलत रामचंद्र, बाजत पैजनिया‘‘ के जैसे)

जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया
जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया

कर्म करत एक घ्येय, एक लक्ष्य एक गेह,
भक्ति शक्ति मान रखे, भक्त बड़ा गुनिया ।।

स्वार्थ मोह राग द्वेष, जगत देह भरे क्लेश,
तजे द्वन्द देह मान, तजे मन मलनिया ।।

अंत काल साथ नहीं, जिसे कहे यही सहीं,
एक राम साथ रहे, बाकी चरदिनिया ।।

राम चरण ‘रमेश‘ धर, कहे बात विनती कर,
राम नाम मन में भर, आत्म देह ऋणिया ।।

-रमेशकुमार सिंह चौहान
नवागढ़, जिला-बेमेतरा (छ.ग.)